खुद सवाल बनेगी खुद ही हल होगी
तुझको लिख डालूंगा तो गज़ल होगी।
उम्मीदों के दिये तुम जला कर रखना
झोपड़ी भी कभी देखना महल होगी।
चाहे लाख तोड़ लें वो जहां के आइने
आईना इक रोज उनकी शकल होगी।
जानती ही होगी वो मेरे मन की बात
सरकार है थोड़े ही कम अकल होगी।
पा लिया है जो ऊँचा सियासी मुकाम
तेरी भी हर एक बात बस छल होगी।
सबको पीस देगी ये वक़्त की चक्की
इस रात की भी तो सुबह कल होगी।
आयेंगे तो मांगना जुमलों का हिसाब
इस बहाने ही एक नयी पहल होगी।
बांध कर परिंदों के पर ये कहा उसने
उड़ने से फ़िज़ाओं में हलचल होगी।
किस रास्ते पर जाएगी ये नयी पीढ़ी
इंसानियत की राह जो ओझल होगी।
लिखूंगा तभी किसी के गेसुओं पे जो
मुश्किलात वतन की सारी हल होगी।
- भूपेश पंत
तुझको लिख डालूंगा तो गज़ल होगी।
उम्मीदों के दिये तुम जला कर रखना
झोपड़ी भी कभी देखना महल होगी।
चाहे लाख तोड़ लें वो जहां के आइने
आईना इक रोज उनकी शकल होगी।
जानती ही होगी वो मेरे मन की बात
सरकार है थोड़े ही कम अकल होगी।
पा लिया है जो ऊँचा सियासी मुकाम
तेरी भी हर एक बात बस छल होगी।
सबको पीस देगी ये वक़्त की चक्की
इस रात की भी तो सुबह कल होगी।
आयेंगे तो मांगना जुमलों का हिसाब
इस बहाने ही एक नयी पहल होगी।
बांध कर परिंदों के पर ये कहा उसने
उड़ने से फ़िज़ाओं में हलचल होगी।
किस रास्ते पर जाएगी ये नयी पीढ़ी
इंसानियत की राह जो ओझल होगी।
लिखूंगा तभी किसी के गेसुओं पे जो
मुश्किलात वतन की सारी हल होगी।
- भूपेश पंत
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