मंगलवार, 1 जनवरी 2019

वो है डॉन!

कुछ फेरबदल के साथ रिलीज हुई डॉन सीरीज की इस नयी फिल्म की संवाद अदायगी, गीत संगीत और एक्शन आज भी ब्लॉक ब्लस्टर है। आज भी डॉन को समझ पाना मुश्किल ही नहीं नामुमकिन है जैसे डायलॉग पर दर्शक तालियाँ पीट पीट कर पागल हो रहे हैं। वो आज भी देखने में सफेदपोश है। बड़े बड़े जहाजों में विदेश घूमता है। वो एक जगह पर और अपने कहे पर बहुत देर नहीं रुकता। वो आज भी फेंके हुए पैसे नहीं उठाता लेकिन खुद बहुत फेंकता है। उसके फेंके हुए शब्द उन विरोधियों के कानों में पिघले शीशे की तरह टपकते हैं जिन्हें अपने दिमाग़ पर बहुत भरोसा है। जो लोग दर्द से चिल्लाते भी हैं उन्हें वो पुलिस का कुत्ता बता कर गोली मरवा देता है। आज भी कई देशों में पुलिस उसके द्वारा भगाये गये लोगों को ढूँढ रही है। उसके भीतर उस जैसा जो मर चुका है उसका पता किसी को नहीं है। लिहाज़ा उसे आज भी डबल रोल का फायदा उठा कर कानून और दर्शकों को चकमा देना आता है। अपनी अय्यारी के दम पर वो अलग अलग मौकों पर अपने बयान और हाव भाव बखूबी बदल सकता है। आज भी पूरे गैंग में उसका दाहिना हाथ एक ही है। हालाँकि वो आज भी किसी पर भरोसा नहीं करता। उसके गैंग के सड़क छाप गुंडे अब समाज में सम्मानित हैं और बदले में उसके खिलाफ़ उठने वाली हर आवाज का टेंटुआ दबा देते हैं। उन्हें केवल आदेश का पालन करना धर्म की घुट्टी में पिलाया गया है। इस बार उसे मामूली से डॉन बनाने वाला खुद सीन से नदारद है और नया वरधान सब जानते हुए भी उसके अभिनय पर हैरान है। आक्रामकता में ही बचाव है और इसलिए वो भी अपने दुश्मन को संभलने का मौका नहीं देता। जो लोग उसकी असलियत बता कर उसे पकड़वा सकते हैं उन्हें वो पहले ही काला चोर साबित कर चुका है। अब देश की पुलिस और जनता काले चोरों के पीछे पड़ी है और डॉन क्योटो जैसी जगमगाहट के बीच मजे में बनारसी पान खाइके छोरा गंगा किनारे वाला पर कूल्हे मटका रहा है।

- भूपेश पंत

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