मंगलवार, 15 जून 2021

एक गधे की बात!

एक दिन घर से निकल कर पप्पू घूमते घूमते चिड़ियाघर पहुँचा तो वहाँ काफ़ी कम लोग थे। पप्पू को देख सभी जानवर बोरियत भगाने के लिये उससे कुछ मज़ेदार सुनाने की फ़रमाइश करने लगे। जानवरों की भारी माँग को देखते हुए पप्पू ने उन्हें इंसानी बेवकूफ़ियों पर एक चुटकुला सुनाया। चुटकुला पूरा होते ही चिड़ियाघर के तमाम जानवर जोर-जोर से ठहाके लगाने लगे, सिर्फ़ एक गधे को छोड़ कर। वो गधा चुटकुला सुनने के बाद भी विरक्त भाव से जुगाली करते हुए अपनी पूँछ से मक्खी भगाता रहा। पप्पू ने गधे के उदासीन भाव को देख लिया लेकिन बिना उसे टोके घर लौट गया। 

तीन दिन बाद पप्पू फिर से उसी चिड़ियाघर में पहुँचा। सभी जानवर उसे अभी चुपचाप देख ही रहे थे कि तभी अचानक बैशाखनंदन जोर जोर से ठहाके लगाने लगा। जानवर ये देख कर हैरान थे लेकिन पप्पू तत्काल उसके मन की बात समझ गया। गधा उसे यही बताने की कोशिश कर रहा था कि पप्पू का चुटकुला उसे आज पूरी तरह समझ में आ गया है। गधा तीन दिन बाद उसी चुटकुले पर पूरे पच्चीस मिनट तक हँसता रहा जिसे बाक़ियों ने उसी वक़्त समझ लिया था।

पप्पू तब से चिड़ियाघर के मुख्य विष्ठा कक्ष में उस गधे को चुपचाप चुटकुला सुना कर जाता है और उसके तीन दिन बाद सभी जानवरों को एक साथ वही चुटकुला सुनाता है, ताकि गधा उसी वक़्त सबके साथ हँस सके। इससे पता चलता है कि पप्पू को गधे तक की इज्ज़त की फ़िक्र है। पप्पू का ये कर्म सबका साथ, सबका विकास और सबका विश्वास के मूल मंत्र पर आधारित है। 

नोट - मितरों इस कहानी से हमें ये शिक्षा मिलती है कि किसी भी ( गधे ) की कमज़ोरी का मज़ाक नहीं उड़ाना चाहिये बल्कि उसकी मदद ही करनी चाहिए। वरना गधा वक़्त बेवक़्त रेंकने लगता है।

- भूपेश पन्त