कभी कबूतरों को देखा है
गर्वीली गरदन लेकर
अपने आप से गुटरियाते
दाने चुगते
अपनी धुन में मग्न
किसी की याद दिलाते
ये कबूतर
उनकी अकड़
और
खिड़कियों से आती
बकर बकर की
आवाज़
बहुमंजिला इमारतों के किसी
दड़बे में
आपको रात दिन
चैन से रहने नहीं देती
ये झुंड में रहते हैं
गंदगी फैलाते हैं
उनकी सतत गुर्राहट में
किसी अनजानी बिल्ली का ख़ौफ़ है
और
एक चेतावनी भी
कभी
वो क़ासिद बन कर
प्यार मुहब्बत
के
संदेश पहुंचाते थे
आज उसके अंतर्जालीय रूप
के सहारे
नफ़रत के पर्चे बांटे जाते हैं
एक दिन
मेरा भी सामना हुआ
एक कबूतर से
जो गलती से आ फंसा
घर के एक कमरे में
उसे लगा
मैं उसे नुकसान पहुंचाना चाहता हूँ
लेकिन
मैं तो कमरे के कीमती सामान को
उसकी फड़फड़ाहट से
बचाने के लिये
बस बाहर निकालना चाहता था
वो कई बार
मुझ पर झपटा
ख़ौफ़ में
कोई भी ऐसा ही करता
लेकिन
वो तो मुझ पर
बीट करके भाग गया
मेरी कबूतरों से
कोई
व्यक्तिगत दुश्मनी नहीं है
वो निश्चित ही
होते हैं
शांत, सरल और गंभीर
इस तरह से सतर्क
जैसे हर पल सता रहा हो
मौत का भय उन्हें
सच तो ये है
कि
इसके लिये
वो इंसान ज़िम्मेदार हैं
जिन्होंने मुझे
ये राय बनाने पर मज़बूर किया
कि
इंसानी कबूतरखाने के
आसमान में उड़ता
हर कबूतर
शांतिदूत नहीं होता।
- भूपेश पंत
गर्वीली गरदन लेकर
अपने आप से गुटरियाते
दाने चुगते
अपनी धुन में मग्न
किसी की याद दिलाते
ये कबूतर
उनकी अकड़
और
खिड़कियों से आती
बकर बकर की
आवाज़
बहुमंजिला इमारतों के किसी
दड़बे में
आपको रात दिन
चैन से रहने नहीं देती
ये झुंड में रहते हैं
गंदगी फैलाते हैं
उनकी सतत गुर्राहट में
किसी अनजानी बिल्ली का ख़ौफ़ है
और
एक चेतावनी भी
कभी
वो क़ासिद बन कर
प्यार मुहब्बत
के
संदेश पहुंचाते थे
आज उसके अंतर्जालीय रूप
के सहारे
नफ़रत के पर्चे बांटे जाते हैं
एक दिन
मेरा भी सामना हुआ
एक कबूतर से
जो गलती से आ फंसा
घर के एक कमरे में
उसे लगा
मैं उसे नुकसान पहुंचाना चाहता हूँ
लेकिन
मैं तो कमरे के कीमती सामान को
उसकी फड़फड़ाहट से
बचाने के लिये
बस बाहर निकालना चाहता था
वो कई बार
मुझ पर झपटा
ख़ौफ़ में
कोई भी ऐसा ही करता
लेकिन
वो तो मुझ पर
बीट करके भाग गया
मेरी कबूतरों से
कोई
व्यक्तिगत दुश्मनी नहीं है
वो निश्चित ही
होते हैं
शांत, सरल और गंभीर
इस तरह से सतर्क
जैसे हर पल सता रहा हो
मौत का भय उन्हें
सच तो ये है
कि
इसके लिये
वो इंसान ज़िम्मेदार हैं
जिन्होंने मुझे
ये राय बनाने पर मज़बूर किया
कि
इंसानी कबूतरखाने के
आसमान में उड़ता
हर कबूतर
शांतिदूत नहीं होता।
- भूपेश पंत
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