गरीबी का नाश हो, ना भूख हो ना भय हो
इस बार चुनाव में जनता तेरी ही जय हो
ना मरे अब कोई किसान,अच्छे बुरे की हो पहचान
अब न कोई ले सके हमारे हौसलों का इम्तिहान
दुश्मन से टकराने को हर कदम निर्भय हो
इस बार चुनाव में जनता तेरी ही जय हो
हर हाथ को काम मिले,हर चेहरे पर हो मुस्कान
विकास की बंदरबांट में छूट न पाये कोई इंसान
जन जन के वोट से सबकी किस्मत तय हो
इस बार चुनाव में जनता तेरी ही जय हो
ना मज़हब की दीवारें हों,जात पांत पर ना हो ध्यान
नेता वही जो रह ना पाये लोगों के दुख से अनजान
सत्ता के सुख पर निस्वार्थ की विजय हो
इस बार चुनाव में जनता तेरी ही जय हो
बहुत हुए अब झूठे वादे,मिटने ना देंगे देश की शान
आओ संसद से हटाएं दागियों का नामोनिशान
देश में विकास की एक नयी लय हो
इस बार चुनाव में जनता तेरी ही जय हो
हुज़ूर आपका भी एहतिराम करता चलूं ............
जवाब देंहटाएंइधर से गुज़रा था, सोचा, सलाम करता चलंू ऽऽऽऽऽऽऽऽ
ये मेरे ख्वाब की दुनिया नहीं सही, लेकिन
अब आ गया हूं तो दो दिन क़याम करता चलूं
-(बकौल मूल शायर)
चुनाव के दौरान तो हर बार जनता की ही जय होती है..हालत तो बाद में बनती है.
जवाब देंहटाएंअच्छी रचना.
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जवाब देंहटाएंहिम्मत लगन और विश्वास की सदा जीत होती है। आपने अच्छा लिखा मेरे ब्लोग पर आने की जहमत उठाए। आपका स्वागत है
जवाब देंहटाएंहिंदी ब्लॉग की दुनिया में आपका तहेदिल से स्वागत है....
जवाब देंहटाएंअच्छा विश्लेषण , सुंदर अभिव्यक्ति
जवाब देंहटाएंआप अच्छा लिखते हैं ,आपको पढ़कर खुशी हुई
साथ ही आपका चिटठा भी खूबसूरत है ,
यूँ ही लिखते रही हमें भी उर्जा मिलेगी ,
धन्यवाद
मयूर
अपनी अपनी डगर