मंगलवार, 6 अक्तूबर 2009

धूल भरा फूल

प्रेमिका का ख़त आया

प्रेमी हर्षाया

जा पहुंचा उससे मिलने बाग़ में

लिये एक धूल भरा फूल अपने हाथ में

अधरों ही अधरों में मुस्कुराया

'प्रेम की पहली भेंट' कह कर प्रेमिका की ओर बढ़ाया

वह क्रोधित हो, फूल को पांव से रौंद कर ज़ोsर से चिल्लायी

प्रेमी की आंख भर आयी

शांत स्वर में बोला

न कर प्रेम का अपमान, ओ नादान

बिन कहे तुझे मैंने ज़िंदगी की हक़ीक़त दिखलायी है

प्रेम के इस सुगंधित फूल में

अपनी ग़रीबी की धूल मिलायी है।।

3 टिप्‍पणियां:

  1. बहुत ही उम्दा व मार्मिक रचना।

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  2. प्रेमिका का ख़त आया
    प्रेमी हर्षाया
    जा पहुंचा उससे मिलने बाग़ में
    लिये एक धूल भरा फूल अपने हाथ में

    बहुत बिंदास पोस्ट. बढ़िया रचना .

    जवाब देंहटाएं
  3. प्रेमिका का ख़त आया
    प्रेमी हर्षाया
    जा पहुंचा उससे मिलने बाग़ में
    लिये एक धूल भरा फूल अपने हाथ में

    बहुत बिंदास पोस्ट. बढ़िया रचना .

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