प्रेमिका का ख़त आया
प्रेमी हर्षाया
जा पहुंचा उससे मिलने बाग़ में
लिये एक धूल भरा फूल अपने हाथ में
अधरों ही अधरों में मुस्कुराया
'प्रेम की पहली भेंट' कह कर प्रेमिका की ओर बढ़ाया
वह क्रोधित हो, फूल को पांव से रौंद कर ज़ोsर से चिल्लायी
प्रेमी की आंख भर आयी
शांत स्वर में बोला
न कर प्रेम का अपमान, ओ नादान
बिन कहे तुझे मैंने ज़िंदगी की हक़ीक़त दिखलायी है
प्रेम के इस सुगंधित फूल में
अपनी ग़रीबी की धूल मिलायी है।।
बहुत ही उम्दा व मार्मिक रचना।
जवाब देंहटाएंप्रेमिका का ख़त आया
जवाब देंहटाएंप्रेमी हर्षाया
जा पहुंचा उससे मिलने बाग़ में
लिये एक धूल भरा फूल अपने हाथ में
बहुत बिंदास पोस्ट. बढ़िया रचना .
प्रेमिका का ख़त आया
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जा पहुंचा उससे मिलने बाग़ में
लिये एक धूल भरा फूल अपने हाथ में
बहुत बिंदास पोस्ट. बढ़िया रचना .