शनिवार, 31 मई 2014

बदलनी होगी विकास की परिभाषा

केंद्र में अब की बार मोदी सरकार बन गयी है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपनी सरकार को गरीबों की सरकार बताया है और सबका साथ, सबका विकास के नारे पर चलने की बात कही है। लेकिन क्या सबका विकास वास्तविकता के धरातल पर संभव है। देखा जाये तो विकास एक सापेक्ष अवधारणा है। देश के विकास की गति या तो विकसित देशों या फिर कमजोर देशों के विकास के आंकड़ों के सापेक्ष तय होती है। देश में अमीर और गरीब के बीच की खाई लगातार बढ़ रही है। ऐसे में सबका विकास तभी हो सकता है जबकि इनमें से एक तबका अपने विकास की परिभाषा बदल दे। अगर देश के बहुसंख्यक गरीबों के अच्छे दिन लाने हैं तो उसकी कीमत तो अमीरों को चुकानी ही पड़ेगी। सरकार इसी तरह विकास के आंकड़ों को ज़मीनी सच्चाई के करीब ला पाएगी। इस देश में महंगाई और कालाबाज़ारी आम लोगों के लिये एक बड़ी समस्या है। मोदी सरकार अगर इस पर अंकुश लगाती है तो गरीबों को राहत मिलेगी लेकिन क्या मुनाफाखोरों के अच्छे दिन बरकरार रह पाएंगे। ठीक उसी तरह अगर मोदी सरकार अर्थव्यवस्था को मजबूत करने के लिये सब्सिडी कम करने जैसे कड़े उपाय करते हैं तो गैस और डीजल के दामों में और बढ़ोत्तरी हो सकती है। ज़ाहिर है तेल कंपनियों के घाटे कम करने की कीमत महंगाई के रूप में किसी ना किसी तरह आम आदमी की जेब से ही वसूली जाएगी। इस देश की जनता के लिये अच्छे दिन तब आयेंगे जब विकास की दिशा अब तक हाशिये पर पड़े इलाकों की ओर मुड़ेगी। इसके लिये भ्रष्टाचार और लाल फीताशाही पर लगाम लगानी होगी। ऐसा हो पाता है तो ना सिर्फ विकास की धारा तेज होगी बल्कि लोगों को सुशासन देने का मोदी सरकार का वादा भी पूरा होगा। लेकिन क्या वाकई मोदी सरकार इन समस्याओं से निपटने की राजनीतिक इच्छाशक्ति जुटा पाएगी? क्या मोदी संसद को दागियों से मुक्त करने का वादा निभा पाएंगे? बीजेपी ने पहली बार केंद्र में पूर्ण बहुमत से सरकार बनायी है लिहाज़ा प्रधानमंत्री के पास गठबंधन धर्म की मजबूरी और सहयोगी दलों का दबाव जैसे घिसे पिटे जुमले नहीं होंगे। चुनौती ये है कि कड़े फैसले लेने और उन पर अमल करवाने की अपनी छवि को मोदी किस तरह पुख्ता कर पाते हैं। अगर मोदी सरकार अपने वायदों पर ईमानदारी से अमल करे तो दागी और भ्रष्ट नेताओं, घोटालेबाज अफसरों, जमाखोरों, कमीशनखोरों और अपराधियों के बुरे दिन आ सकते हैं। लेकिन क्या इस देश के गरीबों का ये सपना कभी पूरा हो पाएगा?      

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