शुक्रवार, 28 दिसंबर 2018

चौकीदार!

चौकीदार ने कहा चौकीदार क्यों हो
लुटे घर के तुम, पहरेदार क्यों हो।
पांच साल पर जिसे ले लिया मैंने
तुम आज भी उसके ठेकेदार क्यों हो।
जो खेल भीड़ का चल रहा है आज
चौरासी से उसके जिम्मेदार क्यों हो।
परिवार छोड़ कर भी परिवार का हूं
तुम एक परिवार की सरकार क्यों हो।
चुनाव में अब न चलेगी तुम्हारी पसंद
पसंद को लेकर तुम्हीं गद्दार क्यों हो।
चार साल में मैं बना पेड़ बबूल का
तुम आज भी इतने हवादार क्यों हो।
मैं जीत के भी क्यों भुला दिया गया
तुम हार के भी बने यादगार क्यूं हो।
मेरी फ़ितरत है जो वो छोड़ूंगा नहीं
गले मिलने को तुम तैयार क्यों हो।
मैंने चुका दिये थे तेरे कर्ज तो सभी
तुम आज भी मेरे कर्जदार क्यों हो।
काश देख पाते मेरे हाथों का कमाल
आंख की हरकत पर शर्मसार क्यों हो।
कुत्ते ने कहा आज सरेआम मुझसे
तुम किसी और के वफादार क्यों हो।

- भूपेश पंत 

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