रविवार, 30 दिसंबर 2018

एक्सचेंज ऑफर

गप्पू : देखा मैं कुछ भी कर सकता हूँ क्योंकि मेरे पास बहुमत है, सबसे धनवान पार्टी है, कई राज्यों में सरकार है, भेड़ों की तरह सजी भक्तों की फौज है। तुम्हारे पास क्या है...

पप्पू : ज्यादा फेंकियो मत। मेरे पास मां है...देशप्रेम से ओतप्रोत पार्टी का इतिहास है, मेरे खानदान का नाम है... और ऐसा क्या कर दिया तुमने जो मैं नहीं कर सकता।

गप्पू : मैंने पार्टी को अपने दम पर कहां से कहां पहुंचा दिया।

पप्पू : तो कौन सा तीर मार दिया। मैंने भी तो पार्टी को कहां से कहां पहुंचा दिया।

गप्पू : अरे मैं तेरी ही पार्टी की बात कर रहा हूँ।

पप्पू : दूसरों का क्रेडिट अपने खाते में डालने की तुम्हारी आदत जाएगी नहीं।

गप्पू : तू देखता जा मैं किस किस से क्या क्या छीनता हूँ.. अपने महान नेता तक को तो बचा नहीं पाया जिन्हें मैंने मरणोपरांत अपनी पार्टी का अटूट हिस्सा बना दिया है। आने वाले वक्त में इतिहास उन्हें विशालकाय राज्यवादी पुतले और राष्ट्रवाद के प्रबल समर्थक के तौर पर याद करेगा। ऐसा करने वाला मैं पहला और शायद आखिरी व्यक्ति हूँ।

पप्पू : लेकिन बिना उनकी अनुमति के तुम ऐसा कर कैसे सकते हो जबकि वो जीवित भी नहीं ...

गप्पू : मैंने जहाँ से अनुमति लेनी थी ले ली। वैसे भी क्या उन्होंने या किसी ने भी पिछले सत्तर सालों में मुझसे अनुमति ली थी। वैसे भी मैं अपने अलावा किसी की नहीं सुनता। हां अगर तुम चाहो तो मेरे पास एक ऑफर है।

पप्पू : कैसा ऑफर..

गप्पू : एक्सचेंज ऑफर.. लौहपुरुष के बदले लौहपुरुष।

- भूपेश पंत

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