शुक्रवार, 28 दिसंबर 2018

लोकतांत्रिक रामराज्य!

भूपेश पंत

देश की मौजूदा लोकतांत्रिक व्यवस्था रामराज्य की ओर बढ़ रही है। रामायण कालीन कई दृश्य आंखों के आगे साकार होकर इस बात का भरोसा दिला रहे हैं कि देश सही हाथों में है। एक ओर जहां देश को पाप मुक्त बनाने के लिये चल रहे अश्वमेघ का घोड़ा निर्बाध दौड़ कर राजतंत्र की पुनर्स्थापना के लिये आतुर है तो वहीं मामा मारीच स्वर्ण मृग की झलक दिखा कर माता सीता को सम्मोहित करने में लगे हैं। ये वही मृग मरीचिका है जिसका आनंद देश की जनता पिछले कई सालों से ले रही है। श्री राम अब मामा मारीच के भ्रमजाल में फंस चुके हैं और स्वर्ण मृग को पाने की अभिलाषा उन्हें लोकतंत्र रूपी माता सीता से दूर ले आयी है। मारीच के कपट भरे जुमले से भ्रमित लक्ष्मण सुरक्षा रेखा खींच कर मौके पर रिपोर्टिंग के लिये जा चुके हैं। माता सीता घने वन के बीच अपनी कुटिया में नितांत अकेली हैं। अब इंतज़ार है तो बस संन्यासी के रूप में रावण के आने का.....

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