रविवार, 30 दिसंबर 2018

तेरा नाना मेरा नाना

गप्पू : (लोगों से घिरा हुआ) मित्रों! देखो देखो मेरे नानाजी की तस्वीर। आज मैं आपको मिलाने जा रहा हूँ अपने नानाजी से जिन्होंने इस शहर के लिये बहुत कुछ किया। उस वक्त भी जब हम लोग कुछ नहीं कर रहे थे। आज हमने अपने परिवार के खोये गौरव को फिर से पा लिया है।

(लोग वाह वाह करते हुए तालियां बजा रहे हैं)

पप्पू : अरे इतनी भीड़ क्यों लगी है। कोई तमाशे वाला आया है क्या..

गप्पू : (भीड़ के बीच से मुंडी बाहर निकाल कर) इधर आओ और ये देखो मेरे नानाजी की तस्वीर। तुम बड़ा कहते थे ना कि हमारे परिवार का इस शहर को बसाने में कोई योगदान नहीं है। देख लो मेरे नानाजी इस शहर के बसाने वालों में से एक थे।

पप्पू : (चश्मा लगा कर हैरान होते हुए)  अरे क्या गजब करते हो यार...  ये तो मेरे नानाजी के भाई हैं। अक्सर हमारे साथ ही रहते थे और मेरे पास भी इनकी तस्वीर है.. (जेब से तस्वीर निकालते हुए) ये देखो मेरे दोनों नानाजी।

गप्पू : ऐसे कैसे... अगर ये तुम्हारे नानाजी थे तो आजकल तुमने इनकी भव्य तस्वीर क्यों नहीं बनायी। तुमने इनके नाम का ढोल क्यों नहीं पीटा। ये तुम्हारी जेब से निकली पुरानी श्वेत श्याम तस्वीर इस बात का प्रमाण है कि तुम्हारे परिवार ने उनकी उपेक्षा की और वो तुम्हारे नाना नहीं थे। वो मेरे मुहल्ले के थे और मैंने उनकी इसी तस्वीर को रंगीन और बड़ा बना कर चायनीज फ्रेम में सजाया है। मैंने और सिर्फ मैंने ही उनकी तस्वीर पर इतना खर्च किया है इसलिए अब ये तस्वीर और नानाजी दोनों मेरे हुए। बजाओ ताली।

(पप्पू सिर पीट रहा है और लोग वाह वाह कर फिर से ताली बजाने लगे हैं।)

- भूपेश पंत

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