शनिवार, 29 दिसंबर 2018

शोक संदेश

अस्पताल में
अति विशिष्ट व्यक्ति के
गिरते स्वास्थ्य से
चिंतित भीड़
इंतज़ार कर रही थी
एक ख़बर का
जो उसे निश्चित ही बताती
कि
आज जश्न मनाना है
या शोक

सफेद वस्त्र पहने
धीर गंभीर चेहरा लिये
वो बाहर आये
कई सफ़ेदपोश कदम
कुछ आगे बढ़े
जो
आतुर थे, आकुल थे
बेसब्र थे, व्याकुल थे
कुछ मज़लूम भी थे
भीड़ में
जो मुश्किल से खड़े हो पाये
उस मुश्किल घड़ी में

वो
तकनीकी आधार पर बोले
दुःखद है ये
हम सब के लिये
क्योंकि
हमारे जननायक
अपनी
सोचने, समझने
देखने भालने
जानने पहचानने
और सुनने बोलने
की
ताकत खो चुके हैं
और
हम उन्हें

ये सुन कर
भीड़ में शामिल
मुफ़लिसी के मारे
शख्स ने
आँखों में आँसू भर कर
आसमान की ओर देखा
गहरी सांस ली
और कहा
वो तो ये सब
पहले ही खो चुके थे
आज तो
हमने उनको खोया है
हे ईश्वर! उनकी आत्मा को शांति देना
बाकी सब ने कहा
आमीन।

- भूपेश पंत

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