शनिवार, 29 दिसंबर 2018

पानी

पानी का भी एक रंग होता है
इतना काफ़ी है
कि
बेरंग होता है
तुम अपनी अय्याशियों के लिये
ढाल दो
चाहे किसी भी रंग में
लेकिन जब हलक
सूख कर
तालू से चिपक जाती है
ज़ुबान
और मौत क़रीब दीखती है
तो
यही पानी
बन जाता है जीने की ज़रूरत
क्योंकि
ये मौत के सामने भी
अपना
रंग नहीं छोड़ता
बना रहता है बेरंग

- भूपेश पंत

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